माँ सरस्वती वंदना (Saraswati Vandana)

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या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता। 

या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना॥ 

या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता। 

सा माम् पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥1॥

शुक्लाम् ब्रह्मविचार सार परमाम् आद्यां जगद्व्यापिनीम्। 

वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्‌॥ 

हस्ते स्फटिकमालिकाम् विदधतीम् पद्मासने संस्थिताम्‌। 

वन्दे ताम् परमेश्वरीम् भगवतीम् बुद्धिप्रदाम् शारदाम्‌॥2॥

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